Natasha

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लेखनी कहानी -27-Jan-2023

अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है


एक बार की बात है गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ सभा में बैठे थे। बुद्ध काफी समय से मौन थे। उनका मौन देखकर अनुयायी चिंतित हुए कि कहीं वे बीमार तो नहीं हैं। तभी उनके एक अनुयायी ने पूछा- भगवन आप इस तरह मौन क्यों हैं? क्या हमसे कोई अपराध हुआ है। इतने में एक अन्य ने पूछा, क्या आप आज अस्वस्थ हैं। वह, फिर भी मौन ही रहे। तभी बाहर खड़ा कोई व्यक्ति जोर से बोला, आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति प्रदान क्यों नहीं की गई। बुद्ध आंख बंद कर ध्यानमग्न हो गए। वह व्यक्ति फिर चिल्ला उठा, मुझे प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं।

इस पर एक उदार शिष्य बुद्ध के सामने उसका पक्ष रखते हुए बोला, भगवन, उसे सभा में आने की अनुमति प्रदान करें। बुद्ध ने आंखें खोली और बोले, नहीं, वह स्पर्श करने योग्य नहीं है। उसे आज्ञा नहीं दी जा सकती। सभी अनुयायी बड़े आश्चर्य से बुद्ध की तरफ देखने लगे, क्योंकि वे जानते थे कि बुद्ध जात-पात में विश्वास नहीं रखते हैँ। तब बुद्ध ने कहा आज यह क्रोधित होकर आया है। क्रोध से जीवन की एकता भंग होती है। क्रोधी व्यक्ति मानसिक हिंसा करता है।

किसी भी कारण से क्रोध करने वाला व्यक्ति स्पर्श योग्य नहीं होता है। उसे कुछ समय तक एकांत में खड़े रहना चाहिए। पछतावे की आग में जलकर शायद उसे समझ आ जाए कि अहिंसा ही उसका कर्तव्य और परम धर्म है। अनुयायी समझ गए कि कौन स्पर्श के लायक नहीं है, किसे स्पर्श नहीं करना चाहिए। उस व्यक्ति को भी पश्चाताप हुआ और उसने फिर कभी क्रोधित न होने की कसम खाई।

सीख

1. गुस्सा करके इंसान आत्म नियंत्रण खो देता है।

2. अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है।

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